Saturday 27 October 2018

शाम सी ढल रही है जिन्दगी कैसी इबादत कैसी बन्दगी हर सुबह उठते है उठने की आश में गिर जाते हैं फिर भी निराशा के आकाश में यूँ तो जीवन के कई आयाम हैं पर उन्हें पाने के प्रयत्न नाकाम काश ऐसी भी कोई दवा हो जो नाम से दवा पर काम से दुआ हो

Friday 26 October 2018

Motivational 4 lines

क्यों बैठा है तू हार के क्या खुश रहेगा मन मार के माना आज हारा है अकेला बेसहारा है पर लगा रहा तो तेरा हर सबेरा है